जिन धर्म का हर पल पालन हो| x2
अंत समाधि से हो यूं जीवन हो|| x2
दुर्ध्यान से रख पाऊं दूरी| x2
अविरत प्रभु का सुमिरन हो|| x2
मोह कषायें दूर रखूं मैं| x2
सम्यक रत्नों का आलंबन हो|| x2
हर पल जीवन में आस यही| x2
जिन धर्म चर्चा का श्रवण हो|| x2
समता और क्षमा हों आभूषण| x2
सच्चे श्रावक सा जीवन हो||x2
जिन धर्म का हर पल पालन हो| x2
अंत समाधि से हो यूं जीवन हो|| x2
आतिश इंदौरी
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