समाधि भावना : दिन रात मेरे स्वामी
इसमें कोई संदेह नहीं की किस प्राणी की मृत्यु कब हो जाये, कोई नहीं जानता. अतः हमें हर पल अपने किये हुये दोषों के प्रक्षालन के लिये प्रभु का नाम स्मरण करते रहना चाहिये और प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिये की हे देव मेरा समाधि मरण हो और अंतिम समय में बस आपका ही नाम स्मरण में रहे. हे देव मेरी बस यही प्रार्थना है.
दिन रात मेरे स्वामी, मैं भावना ये भाऊं,
देहांत के समय में, तुमको न भूल जाऊं ।टेक।
शत्रु अगर कोई हो, संतुष्ट उनको कर दूं,
समता का भाव धर कर, सबसे क्षमा कराऊं ।1।
त्यागूं आहार पानी, औषध विचार अवसर,
टूटे नियम न कोई, दृढ़ता हृदय में लाऊं ।2।
जागें नहीं कषाएं, नहीं वेदना सतावे,
तुमसे ही लौ लगी हो, दुर्ध्यान को भगाऊं ।3।
आत्म स्वरूप अथवा, आराधना विचारूं,
अरहंत सिद्ध साधू, रटना यही लगाऊं ।4।
धरमात्मा निकट हों, चर्चा धरम सुनावें,
वे सावधान रक्खें, ग़ाफ़िल न होने पाऊं ।5।
जीने की हो न वांछा, मरने की हो न ख़्वाहिश,
परिवार मित्र जन से, मैं मोह को हटाऊं ।6।
भोगे जो भोग पहिले, उनका न होवे सुमिरन,
मैं राज्य संपदा या, पद इंद्र का न चाहूं ।7।
रत्नत्रय का पालन, हो अंत में समाधि,
‘शिवराम’ प्रार्थना यह, जीवन सफल बनाऊं ।8। Link Audio
इसमें कोई संदेह नहीं की किस प्राणी की मृत्यु कब हो जाये, कोई नहीं जानता. अतः हमें हर पल अपने किये हुये दोषों के प्रक्षालन के लिये प्रभु का नाम स्मरण करते रहना चाहिये और प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिये की हे देव मेरा समाधि मरण हो और अंतिम समय में बस आपका ही नाम स्मरण में रहे. हे देव मेरी बस यही प्रार्थना है.
दिन रात मेरे स्वामी, मैं भावना ये भाऊं,
देहांत के समय में, तुमको न भूल जाऊं ।टेक।
शत्रु अगर कोई हो, संतुष्ट उनको कर दूं,
समता का भाव धर कर, सबसे क्षमा कराऊं ।1।
त्यागूं आहार पानी, औषध विचार अवसर,
टूटे नियम न कोई, दृढ़ता हृदय में लाऊं ।2।
जागें नहीं कषाएं, नहीं वेदना सतावे,
तुमसे ही लौ लगी हो, दुर्ध्यान को भगाऊं ।3।
आत्म स्वरूप अथवा, आराधना विचारूं,
अरहंत सिद्ध साधू, रटना यही लगाऊं ।4।
धरमात्मा निकट हों, चर्चा धरम सुनावें,
वे सावधान रक्खें, ग़ाफ़िल न होने पाऊं ।5।
जीने की हो न वांछा, मरने की हो न ख़्वाहिश,
परिवार मित्र जन से, मैं मोह को हटाऊं ।6।
भोगे जो भोग पहिले, उनका न होवे सुमिरन,
मैं राज्य संपदा या, पद इंद्र का न चाहूं ।7।
रत्नत्रय का पालन, हो अंत में समाधि,
‘शिवराम’ प्रार्थना यह, जीवन सफल बनाऊं ।8। Link Audio
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