Wednesday, March 20, 2024

1)
ख़ुद को बीमार मत किया कर यार
डूब कर प्यार मत किया कर यार

जब मदद चाहे कोई ग़ैरतमंद
तब तो इनकार मत किया कर यार

एक छोटी सी है मेरी दरख़्वास्त
पीठ पर वार मत किया कर यार

ख़ुद के खाने के लाले पड़ जाएँ
इतना उपकार मत किया कर यार

दिल को जाना जहाँ है जाने दो
दिल से तकरार मत किया कर यार 
Aatish Indori

2)
इक से बढ़ के एक वादे और भी तो हैं
कैसे बच पाएँगे झाँसे और भी तो हैं

चाहने की वजह यह बिल्कुल नहीं है
इस जहाँ में चाँद-चेहरे और भी तो हैं

माँ दवा दारू तेरी कैसे कराऊँ
कहती है बीवी कि बेटे और भी तो हैं

तोहमतें इक दूजे पे क्यूँ हम लगाएँ
दूर जाने के बहाने और भी तो हैं 
Aatish Indori

3)
यार तुम बद-नसीब कैसे हो
बाप है फिर ग़रीब कैसे हो

ख़ुद की थाली में छेद कर डाला
यार इतने अजीब कैसे हो

तुमसे पूरी हुई कहानी यह
दोस्त हो तुम रक़ीब कैसे हो 

बूढ़े बरगद की छाँव में हो तुम
बेटे फिर ग़म-नसीब कैसे हो
Aatish Indori

4)
हमारे हौसलों को पाँव देते हैं
पिता धूप ओढ़ते हैं छाँव देते हैं

तुम्हारे शह्र में यह मसअला होगा
हमारे गाँव में सब छाँव देते हैं

ये दुनिया तो बना देती है घनचक्कर
जिनालय और शिवालय ठाँव देते हैं

बड़े सम्मान से रक्खो इन्हें साहब
बड़े बूढ़े घनेरी छाँव देते हैं 
Aatish Indori

5)
पंछी से आसमान लोगे क्या
जान-ए-मन पूरी जान लोगे क्या

डाँटना बंद कर दिया तुमने
दूध जैसा उफान लोगे क्या

कुछ दया कर लो ऐ किरायेदार
मेरा पूरा मकान लोगे क्या

भाव-ताव इतना कर रहे हो तुम
मेरी पूरी दुकान लोगे क्या
आतिश इंदौरी

6)
सब पुराने ख़याल बदलो यार
वक़्त बदला है साल बदलो यार

एक थप्पड़ अभी लगेगा और
इसलिए अपना गाल बदलो यार

कर नहीं सकती मैं अभी मैरिज
इसका मतलब सवाल बदलो यार

फिर से इस में नहीं फँसूँगा मैं
इसलिए अपना जाल बदलो यार 
Aatish Indori

7)
गाँठे जो हैं वो सब खोलो
जीवन में यूँ मिसरी घोलो

छत पर रख लो तुम भी पानी
पानी में फिर चाँद को घोलो

दीवारों पर दस्तक मत दो
मन-मंदिर के कपाट खोलो

हो जाओगे मीठे तुम भी
मीठा मीठा सब से बोलो 
Aatish Indori

8)
पेड़ की थोड़ी छाँव ले आना
शह्र लौटो तो गाँव ले आना

बात करनी है गर ग़रीबी की
राजा को नंगे पाँव ले आना

वे विराजें तो राम राज आये
राम जी की खड़ाँव ले आना

जो भी लाओ धमाल से लाओ
मौत बस हल्के पाँव ले आना 
Aatish Indori

9)
ख़ुदा के घर सड़क कोई नहीं जाती
चलो पैदल वहाँ लारी नहीं जाती

चली जाती है हँसने और हँसाने से
दवा खाने से बीमारी नहीं जाती

उसे जाने दिया रोका नहीं मैं ने
कभी उसकी ये हैरानी नहीं जाती

मुहब्बत हो गई तो हो गई साहब
कभी ये वाली बीमारी नहीं जाती 
Aatish Indori

10)
एक बच्चे की तरह सच्चे थे
जब हमारे मकान कच्चे थे

पक्के घर कहने को ही पक्के थे
वे तो कच्चे घरों से कच्चे थे

तब नहीं चलती थी दवा-गोली
हम तो कंगाली में ही अच्छे थे

तुम तो सच बोल सकते थे भाई
मेरे घर में तो बाल-बच्चे थे 
Aatish Indori



Modified
पक्के घर कहने को ही पक्के थे
वे तो कच्चे घरों से कच्चे थे
आतिश इंदौरी

दीवारों पर दस्तक मत दो
मन-मंदिर के कपाट खोलो
आतिश इंदौरी

चाहने की वजह यह बिल्कुल नहीं है
इस जहाँ में चाँद-चेहरे और भी तो हैं
आतिश इंदौरी

1) ख़ुद को

2) इक से

3) यार तुम

4) हमारे हौसलों

5) पंछी से

6) सब पुराने

7) गाँठे जो ***

8) पेड़ की

9) ख़ुदा के

10) एक बच्चे

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