वसीयत
मेरी खुद की कमाई हुई चल संपत्ति जैसे कैश, घरेलू सामान, गहने, बैंक में जमा रकम, पीएफ, शेयर्स, किसी कंपनी की हिस्सेदारी आदि मैं -------- के नाम करता हूँ।
खुद की कमाई हुई अचल संपत्ति जैसे जमीन, मकान, दुकान, खेत आदि मैं ------- के नाम करता हूँ।
पुरखों से मिली चल या अचल संपत्ति मैं -------- के नाम करता हूँ।
आप अपने पूरे होशो-हवास में यह घोषणा करते हैं कि आपके बाद आपकी जायदाद का कौन-सा हिस्सा किसे मिलना चाहिए। वसीयत करने वाले को लिखना चाहिए कि वह पूरे होशोहवाश में, पूरी तरह से स्वस्थ चित्त हो कर, बिना किसी दबाव से स्वेच्छा पूर्वक वसीयत कर रहा है। यहाँ वसीयत कर्ता की शैक्षिक योग्यता भी लिखी जाए तो उत्तम रहेगा।
यह वसीयत करने से लेकर मेरे मरने तक अगर मैं कोई और चीज खरीदूंगा, तो उसका कौन-सा हिस्सा किसे मिलेगा।
दो ऐसे लोगों को गवाह बनाएं, जो आपकी हैंडराइटिंग या आपके दस्तखत पहचानते हों।
हर पेज पर गवाहों के और अपने दस्तखत करें और अंगूठे भी लगवाएं।
हर पेज पर गवाहों के और अपने दस्तखत करें और अंगूठे भी लगवाएं।
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गवाह उसे ही बनाएंए जिस पर आपको पूरा भरोसा हो।
ऐसा शख्स गवाह नहीं बन सकता, जिसे वसीयत में कोई हिस्सा दिया जा रहा हो। प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से गवाह को वसीयत से कोई फायदा नहीं होना चाहिए। याद रहे, गवाह को अगर प्रॉपटी से हिस्सा मिल रहा है तो अदालत गवाही रद्द भी कर सकती है।
दोनों गवाहों में से एक डॉक्टर और एक वकील हो तो इससे अच्छा कुछ नहीं। डॉक्टर की मौजूदगी साबित करती
है कि वसीयत करने वाला उस समय होशो-हवास में था और उसकी दिमागी हालत दुरुस्त थी। वकील की
मौजूदगी में यह साफ हो जाता है कि वसीयत करनेवाले ने कानूनी सलाह ली है।
है कि वसीयत करने वाला उस समय होशो-हवास में था और उसकी दिमागी हालत दुरुस्त थी। वकील की
मौजूदगी में यह साफ हो जाता है कि वसीयत करनेवाले ने कानूनी सलाह ली है।
रजिस्टर्ड वसीयत
गलती : कुछ लोग वसीयत रजिस्टर्ड नहीं करवाते। उन्हें लगता है कि रजिस्टर्ड करवाने का खर्च प्रॉपटी के हिसाब से लगेगा, जो काफी ज्यादा होगा।
सलाह : आपकी जायदाद की कीमत चाहे कितनी भी हो, वसीयत रजिस्टर्ड करवाने का कुल खर्च सिर्फ 23 रुपये आता है। इस रकम को रजिस्ट्रार ऑफिस में जमा करवाना पड़ता है।
गलती : कुछ लोग वसीयत रजिस्टर्ड नहीं करवाते। उन्हें लगता है कि रजिस्टर्ड करवाने का खर्च प्रॉपटी के हिसाब से लगेगा, जो काफी ज्यादा होगा।
सलाह : आपकी जायदाद की कीमत चाहे कितनी भी हो, वसीयत रजिस्टर्ड करवाने का कुल खर्च सिर्फ 23 रुपये आता है। इस रकम को रजिस्ट्रार ऑफिस में जमा करवाना पड़ता है।
दलालों के चक्कर
गलती : वसीयत रजिस्टर्ड करवाने के लिए लोग दलालों के चक्कर में फंस जाते हैं।
सलाह : वसीयत को रजिस्टर्ड करवाने के लिए किसी दलाल या वकील की जरूरत नहीं होती। सिर्फ 23 रूपये
अदा करके सब-रजिस्ट्रार के ऑफिस में वसीयत रजिस्टर्ड करवा सकते हैं।
गलती : वसीयत रजिस्टर्ड करवाने के लिए लोग दलालों के चक्कर में फंस जाते हैं।
सलाह : वसीयत को रजिस्टर्ड करवाने के लिए किसी दलाल या वकील की जरूरत नहीं होती। सिर्फ 23 रूपये
अदा करके सब-रजिस्ट्रार के ऑफिस में वसीयत रजिस्टर्ड करवा सकते हैं।
साधारण पेपर पर भी लिखी जा सकती हैः वसीयत साधारण पेपर पर भी लिखी जा सकती है एवं इसे स्टाम्प पेपर या लीगल पेपर पर लिखना आवश्यक नहीं होता है।
निष्पादक की नियुक्ति : संपत्ति के बंटवारे के लिए निष्पादक नियुक्त करना अनिवार्य नहीं है, परंतु यदि संपत्ति ज्यादा है एवं विवाद की स्थिति उत्पन्ना होने की संभावना है तो अपने किसी विश्वासपात्र व्यक्ति को निष्पादक नियुक्त कर देना चाहिए।
प्रत्येक पेज पर हस्ताक्षर : वसीयतकर्ता को वसीयत के प्रत्येक पेज पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होता है।
गवाह : वसीयत में दो गवाह अनिवार्य रूप से होना चाहिए। गवाह ऐसे व्यक्तियों को बनाया जाना चाहिए, जो परिचित हों, वयस्क हों एवं जिनका वसीयत में कोई हित न हो।
प्रत्येक पेज पर हस्ताक्षर : वसीयतकर्ता को वसीयत के प्रत्येक पेज पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होता है।
गवाह : वसीयत में दो गवाह अनिवार्य रूप से होना चाहिए। गवाह ऐसे व्यक्तियों को बनाया जाना चाहिए, जो परिचित हों, वयस्क हों एवं जिनका वसीयत में कोई हित न हो।
वसीयत का पंजीकरण
रजिस्ट्रार अथवा उप-रजिस्ट्रार के यहां पर अपनी वसीयत का पंजीकरण करवाना वैकल्पिक होता है लेकिन ऐसा करना लाभदायक होता है। पंजीकरण करवाने से वसीयत प्रमाणिक हो जाती है। कभी कभी बैंकों तथा भिन्न भिन्न प्राधिकरणों में पजीकृत वसीयत की मांग की जाती है। आपको तथा आपकी वसीयत पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों को वसीयत की दो मूल हस्ताक्षरित प्रतियों, दो फोटो तथा पहचान के साक्ष्य के साथ रजिस्ट्रार के कार्यालय में जाना होगा। बहुत कम शुल्क की अदायगी करने पर वसीयत का पंजीकरण करवाया जा सकता है तथा इसमें अधिक समय नहीं लगता है (सामान्यतय आधा दिन)।
रजिस्ट्रार अथवा उप-रजिस्ट्रार के यहां पर अपनी वसीयत का पंजीकरण करवाना वैकल्पिक होता है लेकिन ऐसा करना लाभदायक होता है। पंजीकरण करवाने से वसीयत प्रमाणिक हो जाती है। कभी कभी बैंकों तथा भिन्न भिन्न प्राधिकरणों में पजीकृत वसीयत की मांग की जाती है। आपको तथा आपकी वसीयत पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों को वसीयत की दो मूल हस्ताक्षरित प्रतियों, दो फोटो तथा पहचान के साक्ष्य के साथ रजिस्ट्रार के कार्यालय में जाना होगा। बहुत कम शुल्क की अदायगी करने पर वसीयत का पंजीकरण करवाया जा सकता है तथा इसमें अधिक समय नहीं लगता है (सामान्यतय आधा दिन)।
प्रत्येक साक्षा के हस्ताक्षर के नीचे, उनका पूरा नाम, आयु, वर्तमान पता तथा पेशा स्पष्ट रुप से उल्लिखित होना चाहिए। ऐसा कोई व्यक्ति जिसे वसीयत से लाभ होगा अथवा उसका पति/पत्नी सत्यापन करने वाला साक्षी नहीं हो सकता है।
वसीयत किसी भी भाषा में कर सकते हैं।
स्टांप ड्यूटी अनिवार्य नहीं है।
वसीयत में कभी भी और कितनी भी बार बदलाव कर सकते हैं।
कोशिश करें कि वसीयत छोटी हो और एक पेज में आ जाए। इससे बार-बार विटनस की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक से ज्यादा पेज में आए तो हर पेज पर दोनों गवाहों के दस्तखत करवाएं।
बिना वजह बेटियों को नजरअंदाज न करें। याद रखें, कानून उन्हें बराबर का हक देता है।
स्टांप ड्यूटी अनिवार्य नहीं है।
वसीयत में कभी भी और कितनी भी बार बदलाव कर सकते हैं।
कोशिश करें कि वसीयत छोटी हो और एक पेज में आ जाए। इससे बार-बार विटनस की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक से ज्यादा पेज में आए तो हर पेज पर दोनों गवाहों के दस्तखत करवाएं।
बिना वजह बेटियों को नजरअंदाज न करें। याद रखें, कानून उन्हें बराबर का हक देता है।
दो ऐसे लोगों को गवाह बनाएं, जो आपकी हैंडराइटिंग या आपके दस्तखत पहचानते हों।
हर पेज पर गवाहों के और अपने दस्तखत करें और अंगूठे भी लगवाएं।
इस वसीयत को सब-रजिस्ट्रार ऑफिस जाकर रजिस्टर्ड कराएं और रजिस्ट्रार के रजिस्टर में इसकी एंट्री भी करवाएं।
वसीयत करवाने की पूरी प्रक्रिया की विडियो रेकॉर्डिंग कराना अच्छा रहता है। वैसे, कानूनन यह जरूरी नहीं है।
ऐसा हो तो क्या करें?
अगर वसीयत करने वाले से पहले किसी गवाह की मौत हो जाए तो वसीयत दोबारा बनवानी चाहिए। दोबारा वसीयत बनवाते समय पहली वसीयत को कैंसल करने का जिक्र जरूर करें।
हर पेज पर गवाहों के और अपने दस्तखत करें और अंगूठे भी लगवाएं।
इस वसीयत को सब-रजिस्ट्रार ऑफिस जाकर रजिस्टर्ड कराएं और रजिस्ट्रार के रजिस्टर में इसकी एंट्री भी करवाएं।
वसीयत करवाने की पूरी प्रक्रिया की विडियो रेकॉर्डिंग कराना अच्छा रहता है। वैसे, कानूनन यह जरूरी नहीं है।
ऐसा हो तो क्या करें?
अगर वसीयत करने वाले से पहले किसी गवाह की मौत हो जाए तो वसीयत दोबारा बनवानी चाहिए। दोबारा वसीयत बनवाते समय पहली वसीयत को कैंसल करने का जिक्र जरूर करें।
* वसीयत एक सादे कागज पर साफ साफ अक्षरों में लिखी जा सकती है। लेकिन कागज ऐसा होना चाहिए जो दीर्घजीवी हो अर्थात एक लंबे समय तक खराब न हो। उस पर लिखे जाने वाली स्याही भी स्थाई प्रकृति की होनी चाहिए जिस से लिखा हुआ मिटाया नहीं जा सके। वसीयत टाइप भी की जा सकती है। आज कल कंप्यूटर पर टाइप कर के लेसर प्रिंटर से छापी गई वसीयत ठीक रहती है। पाँच या दस रुपए के स्टाम्प पेपर पर लिखा/टाइप/छापा जाए तो बेहतर है क्यों कि स्टाम्प पेपर का कागज दीर्घजीवी होता है।
वसीयत के हर पृष्ठ पर संख्या डाल कर हस्ताक्षर करें. अंत में कुल पृष्ठों की संख्या लिखें. कहीं करेक्शन की गई हो तो वहां भी हस्ताक्षर जरूर करें. लाभ पाने वालों को पता होना चाहिए. एक विकल्प अपने वकील के पास वसीयत की कॉपी रखने का भी हो सकता है
वसीयत का पंजीकरण: इंडियन
स्टैम्प एक्ट, 1899 के तहत वसीयत के पंजीकरण पर कोई स्टैम्प ड्यूटी अदा
नहीं करनी पड़ती है यानी कि वसीयत का पंजीकरण किसी सादे कागज पर भी करवाया
जा सकता है. इंडियन स्टैम्प एक्ट, 1899 के तहत वैसे तो वसीयत का पंजीकरण
करवाना भी लाजमी नहीं है यानी कि सही ढंग से की गई गैर-पंजीकृत वसीयत भी
कानूनी रूप से मान्य होती है. फिर भी अच्छा होगा कि अपने जीते-जी वसीयत को
पंजीकृत करवा लिया जाए. - See more at:
http://pitsnews.com/2014/11/06/%E0%A4%9B%E0%A5%8B%E0%A4%9F%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A5%80-%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%A4-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%AC%E0%A5%9C%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%95%E0%A5%80/#sthash.Z8AamhKH.dpuf
Thanks
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