सुबहः
सबसे पहले Heartfullness की यह प्रार्थना पढ़ें.
हे नाथ !
1. तू ही मनुष्य जीवन का वास्तविक ध्येय है|
2. हम हमारी इच्छाओं के गुलाम हैं, जो हमारी उन्नति में बाधक है|
3. तू ही एकमात्र ईश्वर एवं शक्ति है जो हमें उस लक्ष्य तक ले चल सकता है।
इसके बाद Heartfullness का ध्यान करें.
1) एक शान्त जगह चुनें |
2) एक सुविधाजनक आसन ग्रहण करें तथा अपनी आँखें मूंदकर हृदय पर अपना ध्यान ले आएँ |
3) यह सुझाव देते हुए आरम्भ करें कि प्रकाश का स्रोत मेरे हृदय में विद्यमान है तथा यह मुझे भीतर की ओर खींच रहा है|
4) 10 मिनट के लिए ध्यान करें अथवा तब तक, जब तक आप ध्यान से बाहर आने के लिए तैयार न हो गए हों|
दोपहरः
ज़रूरत पड़ने पर संक्षिप्त रूप से नीचे लिखी हुई Heartfulness Cleaning की जा सकती है।
शामः
Heartfulness Cleaning करें.
Sit in a comfortable position with the intention to remove all the impressions accumulated during the day.
Close your eyes and feel relaxed.
Imagine all the complexities and impurities are leaving your entire system.
They are going out your back, from the top of your head to your tailbone.
Feel they are leaving your system as smoke.
Remain alert during the entire process, like a witness to the clouds passing in the sky.
Gently accelerate this process with confidence and determination, applying your will as needed.
If your attention drifts and other thoughts come to mind, gently bring your focus back to the process of cleaning.
As the impressions are leaving from your back you will start to feel lighter.
Continue this process for fifteen to twenty minutes.
When there is inner lightness, feel a current of purity coming from the Source and entering your system from the front.
This current is flowing throughout your system, carrying away any remaining complexities and impurities.
Make a clear suggestion to yourself: I have now returned to a simpler, purer and more balanced state. Every cell of my body is emanating simplicity, lightness and purity.
When you are ready, gently open your eyes.
रातः
सोने से पहले यह प्रार्थना पढ़ें.
हे नाथ !
1. तू ही मनुष्य जीवन का वास्तविक ध्येय है|
2. हम हमारी इच्छाओं के गुलाम हैं, जो हमारी उन्नति में बाधक है|
3. तू ही एकमात्र ईश्वर एवं शक्ति है जो हमें उस लक्ष्य तक ले चल सकता है।
---------------------------------
यह विचार ख़ुद को दे सकते हैं हर एक घंटे में और ज़रूरत पड़ने परः
सब-कॉन्सियस माइंड, डिप्रेसिव थॉटस (पुरानी बातें, हेल्पलेसनेस, डर, ओवरथिंकिंग, परिणाम की चिन्ता, डिसीजन मेकिंग में डर, Self-judgment, overgeneralising आदि) और उसके कुन्बे को neutral करो और discard करो. सब-कॉन्सियस माइंड यह याद रखो डर, आत्मग्लानि, होपलेसनेस, पनौती मानना आदि ही हारने और मरने के लिए पर्याप्त है।
हमारे गुरू भव्य हैं जिन्हें हम हृदय में धारण करते हैं, जिनकी वाणी कानों से श्रवण करते हैं, आंखों से जिनको देखते है, हाथों से जिनके पैर स्पर्ष करते हैं, इस कारण हम भव्य हैं.
------------------------------------
दाजी कहते हैं अच्छी बुक्स ज़रूर पड़ें-
My recommendations:
1. Link
2.
-------------------------------
चिंतन
हे नाथ !
1. तू ही मनुष्य जीवन का वास्तविक ध्येय है|
2. हम हमारी इच्छाओं के गुलाम हैं [इसलिये डिप्रेसिव थॉटस (पुरानी बातें, हेल्पलेसनेस, डर, ओवरथिंकिंग, परिणाम की चिन्ता, डिसीजन मेकिंग में डर, Self-judgment, overgeneralising आदि) आते हैं] , जो हमारी उन्नति में बाधक है|
3. तू ही एकमात्र ईश्वर एवं शक्ति है जो हमें उस लक्ष्य तक ले चल सकता है।
----------------------------------------------------------------------
Want to talk: Whatsapp 9406630247